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हरिहरपुरी की कुण्डलिया जनता से मिलते रहो, सुनना उसकी बात। बात-बात में मत करो, जनता पर आघात।। जनता पर आघात, होत है बहुत अपावन। पापों का यह ढेर, नहीं बनता मधु ...